कानपुर के वार्ड 84 जूही कलां में बदलाव के संकेत!
नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को संजीवनी!
लगातार जीतते रहे सत्ता पक्ष के लोगों को सुधार की जरूरत
जन समस्याओं को नजरंदाज करना पड़ सकता है महंगा
देश की राजनीति में कांग्रेस का जो भी स्थान हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद से बढ़कर सफलता मिल सकती है। खास कर वार्ड स्तर पर सभासद या पार्षद के चुनाव में जनता बदलाव के संकेत रही है। इसकी खास वजह ये है कि कई वार्ड में लगातार सत्ता पक्ष यानी बीजेपी से जुड़े पार्षद या सभासद जीतते रहे हैं। जब से केंद्र में और यूपी में मोदी और योगी ने बागडोर संभाली है तब से हर चुनाव में बीजेपी से जुड़े उम्मीदवारों को फायदा मिला है। यही कारण रहा कि वार्ड स्तर पर कई जगह सत्ता पक्ष के उम्मीदवार दो दो कार्यकाल तक पूरे कर चुके है। लेकिन सत्ता पक्ष की लहर में या मोदी योगी के नाम पर जीते कई पार्षद और सभासद जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। कई सभासदों और पार्षद ने जनसमस्याओं को लेकर समय रहते सजगता नहीं दिखाई। पार्टी के सहारे जीत की उम्मीद लगाए ऐसे पार्षद और सभासद इस बार के चुनाव में लड़खड़ाते नजर आ रहे है। जनता ने भी लगातार जीतते रहे पार्षदों और सभासदों की जगह नए उम्मीदवारों को चुनने का मन बनाया है। कई लोगों ने ऐसी मंशा जाहिर की है कि अब वो अपने इलाके में बदलाव चाहते हैं।
ऐसा एक जगह नहीं कई जनपदों के अलग अलग वार्ड में नजर आ रहा है।
कानपुर की अगर बात करें तो कई इलाकों में ऐसी स्थिति बनी हुई है। जहां लगातार जीतते आ रहे पार्षद और सभासदों को हार का डर सताने लगा है। हमने कानपुर के वार्ड 84 जूही कलां का सर्वे किया तो वहां भी ऐसी ही स्थिति नजर आई लगातार जीतते आ रहे बीजेपी पार्षद बिल्लू इस बार इतने कांफिडेंस में नहीं नजर आ रहे। वार्ड के ज्यादातर लोग उनके कार्यकाल में जनता की अनदेखी से नाराज नजर आ रहे है। इस बात का अहसास खुद बीजेपी के उम्मीदवार को हो रहा है। यही वजह है कि वार्ड की सभाओं में बीजेपी उम्मीदवार किसी गलती के लिए जनता से माफी मागते हुई।इस बार फिर से जिताने की गुजारिश कर रहे। वही उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार अमित जायसवाल को जनसमर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। वार्ड के हिंदू मुस्लिम और अन्य वर्ग के लोग उनके साथ नजर आ रहे है। हालाकि मुस्लिम वोट इस बार भी कांग्रेस के साथ साथ सपा उम्मीदवार धीरेंद्र को भी मिलते नजर आ रहे है। बसपा उम्मीदवार भी मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश जरूर करेंगे। पहली बार पार्षद के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे अमित जायसवाल की जीत की उम्मीदें लगाई जाने लगी हैं।
9 मई से चुनाव थम रहा है। 11 मई को मतदान है। ऐसे में वार्ड के इस सर्वे की क्या हकीकत होगी ये अभी कह पाना मुश्किल है। लेकिन जो परस्तिथियां वार्ड में नजर आ रहीं हैं। वो बदलाव के संकेत तो दे रही हैं फिर भी 13 मई को चुनाव परिणाम किसके हक में जाते हैं ये कह पाना अभी आसान नहीं है।



